माँऊट साई - 7 मई 2006
आज एक नई सेवा, हिंदी कीबोर्रड, औनलाइन मिली। मैने सोचा इसका उपयोग किया जाए। हिंदी में लिखने का अवसर कई वर्षो के बाद मिला है। इस रविवार हम, तरुन, मैं और ब्रायन, माँऊट साइ चढ़ने गए थे। दिन थोड़ा खराब था बारिश होगी ऐसा लगता था। हमने सब सामान बाँधा और ब्रायन के घर के लिए निकले। वहाँ पहुँच कर हमने कुछ नाशता किया और I-90 पर निकल पड़े। वैसे हम निकले कहीं और जाने के लिए थे पर रासते में ब्रायन ने माँऊट साइ का सुझाव दिया।
लिटल साइ मेरी पहली हाइक थी और माँऊट साइ आने का मेरा बहुत मन था। जैसे जैसे हम अपनी मंज़िल की ओर बढ़ रहे थे, वैसे वैसे बारिश भी तेज़ हो रही थी। लेकिन अब तो हम बारिश में हाइक करने में कुशल हो गए हैं। फिर जब हम पहाड़ के पास पहुँचे, बारिश ने कृपा की और हमें हलकी बारिश में हाइक करने का आनन्द मिला। 8 मील ऊपर से नीचे तक, ये मेरे लिये अब आसान सी बात है। ऐसा सोच कर मैने चढ़ना शुरू किया, लेकिन ये चढ़ाई इससे और कठिन निकली। 4 मील मे 3500 फीट में नाप सकते हैं इस चढ़ाई को। और हमारा साथ देने के लिए कई और लोग भी थे। मुझे ये हाइक थोड़ी नीरस लगी, उस पर बारिश में कोई सुंदर दृष्य भी देखने को नहीं मिला। लेकिन कठिन हाइक करने का आनन्द अवष्य मिला। हम जब माँऊट साइ के शिखर पर पहुँचे तो बारिश भी तेज़ हो गई। बारिश की बूंदे मुझे सुई की तरह लगने लगी। और शिखर पर तेज़ हवा भी चल रही थी। हम पथरीले रास्ते से फिर थोड़ा और ऊपर की ओर बढे़। ब्रायन हम दोनो से आगे निकल गया पर हमने कुछ समय वहीं बिताया।
फिर ब्रायन भी लौट आया और अब भूख भी लग आई थी। हम कोई कम बारिश वाली जगह की खोज में वापस अपनी गाड़ी की ओर चल पड़े। फिर हमने एक पेड़ों के झुण्ड क नीचे कुछ खाया और चल दिये। इस समय तक हम कुछ भीग भी चुके थे। फिर हम फटाफट नीचे उतरे, गाड़ी में बैठे, और फिर मेरी आँख तो बैलव्यू आकर ही खुली। मैं थक तो गई थी पर एक बढ़िया हाइक के बाद।
आज एक बार फिर हिंदी में लिख कर अच्छा लगा।
लिटल साइ मेरी पहली हाइक थी और माँऊट साइ आने का मेरा बहुत मन था। जैसे जैसे हम अपनी मंज़िल की ओर बढ़ रहे थे, वैसे वैसे बारिश भी तेज़ हो रही थी। लेकिन अब तो हम बारिश में हाइक करने में कुशल हो गए हैं। फिर जब हम पहाड़ के पास पहुँचे, बारिश ने कृपा की और हमें हलकी बारिश में हाइक करने का आनन्द मिला। 8 मील ऊपर से नीचे तक, ये मेरे लिये अब आसान सी बात है। ऐसा सोच कर मैने चढ़ना शुरू किया, लेकिन ये चढ़ाई इससे और कठिन निकली। 4 मील मे 3500 फीट में नाप सकते हैं इस चढ़ाई को। और हमारा साथ देने के लिए कई और लोग भी थे। मुझे ये हाइक थोड़ी नीरस लगी, उस पर बारिश में कोई सुंदर दृष्य भी देखने को नहीं मिला। लेकिन कठिन हाइक करने का आनन्द अवष्य मिला। हम जब माँऊट साइ के शिखर पर पहुँचे तो बारिश भी तेज़ हो गई। बारिश की बूंदे मुझे सुई की तरह लगने लगी। और शिखर पर तेज़ हवा भी चल रही थी। हम पथरीले रास्ते से फिर थोड़ा और ऊपर की ओर बढे़। ब्रायन हम दोनो से आगे निकल गया पर हमने कुछ समय वहीं बिताया।
फिर ब्रायन भी लौट आया और अब भूख भी लग आई थी। हम कोई कम बारिश वाली जगह की खोज में वापस अपनी गाड़ी की ओर चल पड़े। फिर हमने एक पेड़ों के झुण्ड क नीचे कुछ खाया और चल दिये। इस समय तक हम कुछ भीग भी चुके थे। फिर हम फटाफट नीचे उतरे, गाड़ी में बैठे, और फिर मेरी आँख तो बैलव्यू आकर ही खुली। मैं थक तो गई थी पर एक बढ़िया हाइक के बाद।
आज एक बार फिर हिंदी में लिख कर अच्छा लगा।
1 Comments:
योगिता जी, आपका यह वृत्तान्त हिन्दी में पढ़ कर अच्छा लगा। हिन्दी ब्लॉग जगत् में आपका हार्दिक स्वागत् है। आशा है आप इसी तरह हिन्दी में निरन्तर लिखती रहेंगी। कृपया नए हिन्दी ब्लॉगर्स के लिए स्वागत् पृष्ठ ज़रूर देखें।
Post a Comment
<< Home